रविवार, 18 दिसंबर 2011

हाइकू-

1-
चपरासी से आई.ए.यस. तक,
रिजेक्ट भये सेलेक्शन मां,
तब खड़ा भये इलेक्शन मां।
2-
ई पब्लिक बड़ी होशियार है,
गुंडन से येका प्यार है,
और उनकै बेड़ा पार है।
3-
वोट मागै जे आवै,
दूध-पूत सब पावै,
इच्छा हमार है।
4-
वोट देवै जे जाई,
लात-घूसा ते पाई,
देह तौ तोहार है।
5-
एक बार जिताय देव,
लाल बत्ती पाय देव,
फिर का तोहार है!
6-
जीतेक बाद मौज़ करब,
अमरीका कै सैर करब,
आये इलक्शन फिर लड़ब!
7-
हम लगायन हम पायन,
यहमां कौन गोहार है?
सांसद-निधि हमार है!
8-
सुरा-सुन्दरी से क्यौ बचा है?
केहुक उज़ागिर केहुक पचा है,
चर्चा ही बेकार है!
9-
चोरकट, चिरकुट सुनत रहब,
जी सर! जी सर! करत रहब,
आदत हमार है!
                                                      -विजय 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 19-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  2. भ्रष्ट हो चुके समाज और गिरते मानवीय स्तर को रेखांकित करती हुई कविता निश्चय ही अपने आप में अनूठी लगी ... शुक्ल जी सादर आभार के साथ हार्दिक बधाई |

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