शनिवार, 31 दिसंबर 2011

गुरु द्रोण चीरहरण कर रहे हैं

गुरुतर भार था जिनके कन्धों पर
संवारने और सजाने का
नयी दिशा-नयी दृष्टि-नयी सोच से
नयी फ़सल उगाने का,
जिनसे अपेक्षा थी, विभिन्न वादों-
विवादों के भंवर से साफ़ बचाकर
निकाल ले जाने का,
जिनसे आशा थी, नवीनता के नाम पर
बौद्धिक अतिरेकता से परहेज की,
वे स्वयं आधुनिकता के नाम पर
अश्लीलता का वरण कर रहे हैं,
दुःशासन दूर खड़ा देखता है
गुरु द्रोण चीरहरण कर रहे हैं।।
                                                    -विजय

6 टिप्‍पणियां:

  1. सर ! आपने तो मन की बात कह दी. कथ्य और तथ्य दोनों से पूरी तरह सहमत. आभार इस उच्च कोटि के चिंतन और प्रस्तुतीकरण के लिए.

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  2. सटीक अभिव्यक्ति………………आगत विगत का फ़ेर छोडें
    नव वर्ष का स्वागत कर लें
    फिर पुराने ढर्रे पर ज़िन्दगी चल ले
    चलो कुछ देर भरम मे जी लें

    सबको कुछ दुआयें दे दें
    सबकी कुछ दुआयें ले लें
    2011 को विदाई दे दें
    2012 का स्वागत कर लें

    कुछ पल तो वर्तमान मे जी लें
    कुछ रस्म अदायगी हम भी कर लें
    एक शाम 2012 के नाम कर दें
    आओ नववर्ष का स्वागत कर लें

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!...नववर्ष की मंगल कामना

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  4. सुन्दर अभिवयक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें.....

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  5. नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

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